3 जून को शनि जयंती और स्नान-दान-श्राद्ध की सोमवती अमावस्या। इस दिन वट सावित्री व्रत और पूजा भी की जाती है। इस साल यानी 2019 में पूरे साल में केवल तीन सोमवती अमावस्या तिथि पड़ रही है। इसमें पहली सोमवती अमावस्या 4 फरवरी, दूसरी 3 जून और तीसरी 28 अक्टूबर 2019 को पड़ रही है। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद मौन व्रत रखकर जाप करने से मन की शुद्धि होती है। कुंभ मेले का एक स्नान मौनी अमावस्या का भी होता है। स्कन्द और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को और नियममृतादि के अनुसार अमावस्या को मनाने की प्रथा है।
उत्तर भारत में यह व्रत अमावस्या को, तो दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है। ब्रह्मवैवर्त्त पुराण के अनुसार- ‘भूतविद्वान कर्त्तव्या दर्श: पूर्णा कदाचन। वर्जयित्वा मुनिश्रेष्ठ सावित्रीव्रतमुत्तमम॥' अर्थात दोनों परंपराओं में व्रत चतुर्दशी से जुड़ी अमावस्या-पूर्णिमा में ही करना चाहिए। वट वृक्ष आयुर्वेद के अनुसार परिवार का वैद्य माना जाता है। पंचवटी में जिन पांच वृक्षों- वट, अशोक, पीपल, बेल और हरड़ आदि को ही शामिल किया जाता है, वे महिलाओं से संबंधित बीमारियों को जल्दी से ठीक करते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण ही इसके नीचे संत गण तपस्या करते हैं। किसी महिला को पति की मृत्यु का दुख न झेलना पड़े, इसलिए यह व्रत करवाया जाता है। विवाहित, कुमारी, बालिका, वृद्धा, सारी स्त्रियां यह व्रत विधि-विधान से रखती हैं।
प्रात: पीपल के वृक्ष के पास जाइए, उस पीपल के वृक्ष को एक जनेऊ दीजिए और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम भी उसी पीपल को अर्पित कीजिए। फिर पीपल और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिए। तत्पश्चात 108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा करके, शुद्ध रूप से तैयार की गई एक मिठाई पीपल के वृक्ष को अर्पित कीजिए।
परिक्रमा करते वक्त बोलने का मंत्र :-
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
परिक्रमा करते समय इस मंत्र का जाप करते जाइए। 108 परिक्रमा पूरी होने के बाद पीपल और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हुए अपने हाथों हुए जाने-अनजाने अपराधों की क्षमा मांगिए। सोमवती अमावस्या के दिन की गई इस पूजा से जल्दी ही आपको उत्तम फलों की प्राप्ति होने लगती है।
इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।
पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या के अतिरिक्त भी प्रति शनिवार पीपल के वृक्ष की पूजा करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है।
सोमवती अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा (वस्त्र) दान करने से पितृ दोष कम होता है।
सोमवती अमावस्या पर करें निम्न मंत्र का जाप
मंत्र-
'अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर्अवन्तिका पुरी, द्वारावतीश्चैव
सप्तैता मोक्ष दायिका।।
गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा, सिंधु कावेरी जलेस्मिने संन्निधि कुरू।।'
सोमवती अमावस्या का व्रत सुहागिनों का प्रमुख व्रत हैं। सोमवार चंद्रमा का दिन हैं। इस दिन सूर्य तथा चंद्रमा एक सीध में स्थित होते हैं। इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य फल प्राप्ति वाला माना जाता हैं। पुराणों में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है।