निडर और मस्ती खोर धनु जातक पार्टी में पंहुचने वाले पहले और जाने वाले आखिरी मेहमान हो सकते हैं । ज्ञान की प्राप्ति के लिए यात्रा करते हैं और हर जगह की संस्कृति और लोगो के बारे में जानना चाहते हैं । ये स्वतंत्र और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं । इनकी उर्जा का स्त्रोत नये नये रोमांच होते हैं जो इन्हे यात्रा के दौरान मिलता हैं और रिश्तों के प्रति भी इनका यही रवैया रहता हैं। निडर और मस्ती खोर धनु जातक पार्टी में पंहुचने वाले पहले और जाने वाले आखिरी मेहमान हो सकते हैं । ज्ञान की प्राप्ति के लिए यात्रा करते हैं और हर जगह की संस्कृति और लोगो के बारे में जानना चाहते हैं । ये स्वतंत्र और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं । इनकी उर्जा का स्त्रोत नये नये रोमांच होते हैं जो इन्हे यात्रा के दौरान मिलता हैं और रिश्तों के प्रति भी इनका यही रवैया रहता हैं।
निडर और मस्ती खोर धनु जातक पार्टी में पंहुचने वाले पहले और जाने वाले आखिरी मेहमान हो सकते हैं । ज्ञान की प्राप्ति के लिए यात्रा करते हैं और हर जगह की संस्कृति और लोगो के बारे में जानना चाहते हैं । ये स्वतंत्र और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं । इनकी उर्जा का स्त्रोत नये नये रोमांच होते हैं जो इन्हे यात्रा के दौरान मिलता हैं और रिश्तों के प्रति भी इनका यही रवैया रहता हैं। निडर और मस्ती खोर धनु जातक पार्टी में पंहुचने वाले पहले और जाने वाले आखिरी मेहमान हो सकते हैं । ज्ञान की प्राप्ति के लिए यात्रा करते हैं और हर जगह की संस्कृति और लोगो के बारे में जानना चाहते हैं । ये स्वतंत्र और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं । इनकी उर्जा का स्त्रोत नये नये रोमांच होते हैं जो इन्हे यात्रा के दौरान मिलता हैं और रिश्तों के प्रति भी इनका यही रवैया रहता हैं।
अशुभ की निशानी
सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं।
गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है।
सोना खो जाए या चोरी हो जाए।
बिना कारण शिक्षा रुक जाए।
व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं।
आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, साँप के सपने।
सांस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द।
2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है।
सावधानी
कभी झूठ न बोले।
ज्ञान का घमंड न करें।
आचरण को शुद्ध रखें।
पिता, दादा और गुरु का अपमान न करें।
धर्म स्थान, धर्मग्रंथ, देवी और देवता का अपमान न करें।
नास्तिक और नास्तिकता से दूर रहें।
उपाय
पीपल में जल चढ़ाएँ।
हो सके तो गुरु बनाएँ।
घर में धूप-दीप दें।
गीता का पाठ या कृष्ण नाम जपें।
हल्दी की गाँठ घर में रखें आदि।
गुरु ज्यादा खराब हो या उसे जल्द ही ठीक करना हो तो घर के उत्तर में पीपल पेड़ लगाएँ।
पश्चिम या उत्तर मुखी मकान हो तो अति उत्तम। ईशान में ही जल का स्थान रखें।