विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को शीतल रखने के लिए पुजारी व पुरोहित क ई तरह के जतन करते हैं। भगवान को ठंडा जल अर्पित किया जाता है। वहीं शिवलिंग के ऊपर 11 मटकियां बांधकर शिवलिंग पर निरंतर शीतल जल की धार छोड़ी जाती है, लेकिन मंदिर प्रशासन की अनदेखी के कारण गर्भगृह के सामने लगे आरओ से गरम पानी आ रहा है। इसके चलते गर्भगृह में जाने वाले कई भक्त गर्म जल से भगवान का जलाभिषेक कर रहे हैं। ऐसे में भगवान महाकाल के शिवलिंग के क्षरण की की आशंका बनी हुई है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में ग्रीष्मावकाश के दौरान प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शनार्थी आ रहे हैं। हालांकि मंदिर प्रबंधन समिति ने बढ़ती भीड़ के बाद सभा मंडप में जल द्वार के समीप ही जल पात्र लगाकर श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए जल-दूध को अर्पित करने की सुविधा दी है। वहीं भीषण गर्मी के दौर में भगवान महाकाल पर शीतलता बनी रहे इसके लिए पंडे-पुजारियों द्वारा 11 मटकियों की गलंतिका बांधी गई हैं, जिनसे शीतल जल शिवलिंग पर निरंतर अर्पित होता है, लेकिन श्रद्धालुओं द्वारा गर्म जल अर्पित करने से खतरा पैदा हो गया है।
हाई कोर्ट ने दिए थे कई सुझाव
भगवान महाकाल को गर्म जल अर्पित करने का कारण यह है कि मंदिर के गर्भगृह के सामने लगा आरओ खराब हो गया है और उसमें से गर्म पानी आ रहा है। पुजारी-पुरोहित के मुताबिक गर्भगृह में 15 सौ की रसीद या प्रोटोकाल से आने वाले अधिकांश श्रद्धालु गर्भगृह के सामने लगे आरओ से ही जल लेकर भगवान महाकाल का जलाभिषेक करते हैं। इन दिनों आरओ से गर्म मिल रहा है। पानी के गर्म होने के पीछे कारण बताया गया है कि मंदिर प्रशासन ने सभा मंडप के ऊपर आरओ वाटर सिस्टम के साथ दो बड़ी स्टील की टंंकी नल की पाईप लाईन से जोड़ी हैं। मंदिर परिसर में सुबह से ही तेज धूप व गर्मी के कारण छत पर रखी स्टील की टंकी का पानी उबलने लगता है। ऐसे में गर्भगृह के सामने लगे नल से निकलने वाला पानी गर्म रहता है। मजबूरी में जो भक्त बाहर से ठंडा जल नहीं ला पाते हैं, उन्हें यहीं से गर्म पानी लोटे भर कर जल अभिषेक करना पड़ रहा है। प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है।
विशेषज्ञों ने भी जताई थी यह आशंका
श्री महाकालेश्वर मंदिर को लेकर पूर्व के वर्ष में उच्च न्यायालय के माध्यम से भगवान महाकाल के शिवलिंग को क्षरण की स्थिति से बचाने के लिए दिए गए सुझावों पर अमल करने के लिए कहा गया था। उसके अनुसार ही मंदिर प्रबंध समिति द्वारा व्यवस्थाएं निर्धारित की है। पूर्व में भी जब शिवलिंग के क्षरण की स्थिति देखने के लिए पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों के माध्यम से यह बात सामने आई थी कि अचानक ठंडे पत्थर पर यदि गर्म जल डाला जाए तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।