नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां को सुगंधप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि की मां के माते में चंद्र के आकार का चांद बना है। जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा नाम दिया गया है। इसके साथ ही मां का सिंह वाहन है और हर हाथ में शस्त्र है। जो लोग मां की विधि-विधान के साथ पूजा करते है। उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। आज यानी 8 अप्रैल को नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज भक्त जन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करते हैं। मालूम हो कि मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। आज के दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि क्या है?
- मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है।
- मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है।
- इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है।
- अतः इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है।
- अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है, तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए।
मां दुर्गा के इस रूप को केसर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और मां चंद्रघंटा को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला पहनाएं। मां
चंद्रघंटा को खुश करने के लिए आज के दिन ये मंत्र जरूर पढ़ें।
‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः’