देशभर में आज महाशिवरात्री का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी लाइनें लगी हुईं है। महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर शिवभक्त भक्तिमय होकर भगवान शंकर की पूजा कर रहे हैं और शिवलिंग का श्रृंगार कर जलाभिषेक कर रहे हैं। हर-हर महादेव के नारे से गुंजायमान मंदिरों में कतारों में लगे लोग भगवान भोले का अभिषेक करने के लिए इंजतार कर रहे हैं। काशी हो या हरिद्वार या फिर उज्जैन के महाकाल, सब जगह सुबह से ही लोग जलाभिषेक के लिए कतारों में लगें हैं।
महाशिवरात्रि की पूजा ऐसे करें
व्रत रखेने वाले दिनभर शिव मंत्र (ऊं नम: शिवाय) का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।) शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-
ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
व्रत रखने वाले को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए साथ ही भोग भी लगाना चाहिए।
दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें।
चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ऊं नम: शिवाय का जाप करें।
भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती और परिक्रमा करें।
इसके बाद आखिरी में भगवान से प्रार्थना इस प्रकार करें
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
अगले दिन (5 मार्च, मंगलवार) सुबह सुबह नहाकर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करें।
दिनभर में पूजा के शुभ मुहूर्त
सुबह 07:15 से 08:14 तक
सुबह 09:43 से 11:10 तक
दोपहर 02:02 से 03:30 तक
दोपहर 03:30 से शाम 04:39 तक
शिवरात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त
पहले प्रहर की पूजा - शाम 06:22 से रात 09:28 तक
दूसरे प्रहर की पूजा - रात 09:28 से 12:35 तक
तीसरे प्रहर की पूजा - रात 12:35 से 03:41तक
चौथे प्रहर की पूजा - रात 03:41 से अगले दिन सुबह 06:48 तक