श्री महाकालेश्वर मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर सायंकाल बाबा महाकाल को केसरिया दूध का भोग अर्पित किया जाएगा। भोग के बाद मंदिर में दर्शन को आने वाले दर्शनार्थियों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाएगा। इसी तरह कार्तिक मास में ठंड का मौसम शुरू होने के बाद बाबा महाकाल की दिनचर्या में भी परिवर्तन हो जाता है। मंदिर में रोज होने वाली भगवान की आरती का समय परिवर्तित हो जाएगा। यह व्यवस्था कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा तक रहेगी।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष भगवान महाकाल की दिनचर्या में दो बार बदलाव होता है। मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होने पर कार्तिक मास में व गर्मी के मौसम शुरू होने पर फाल्गुन मास में मंदिर में होने वाली आरती का समय बदलता है। वहीं भगवान को स्रान कराने की प्रक्रिया भी बदल जाती है। गर्मी व वर्षा ऋतु में मंदिर में होने वाली सुबह की दो आरती जल्दी व शाम की आरती देर से होती है।
रूप चौदस से महाकाल को गर्म जल से स्नान कराएंगे
बाबा महाकाल को दीपावली के दूसरे दिन रूप चौदस से गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। सुबह भस्मारती के दौरान पुजारी गर्म जल अर्पित करेंगे। वहीं फाल्गुन मास की पूर्णिमा से ठंडे जल से स्नान का दौर शुरू हो जाता है। इसी तरह पहले महाकाल को अन्नकू ट का भोग लगाया जाता है। अन्नकू ट का आयोजन रूप चौदस को सुबह भस्मारती के दौरान होगा।
शरद पूर्णिमा पर कई मंदिरों में होगा आयोजन
शरद पूर्णिमा के अवसर पर जहां शहर के कई मंदिरों में उत्सव का आयोजन होगा। वहीं शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर को श्री महाकालेश्वर मंदिर में शरदोत्सव के तहत शाम को 7 बजे भगवान को केसरिया दूध का भोग लगाया जाएगा। मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को दूध का प्रसाद वितरित किया जाएगा।