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Astrology

जाने अपने राशि श्‍वमी के बारे में .....

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 27 2019 12:40AM | Updated Date: May 27 2019 12:40AM
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सूर्य ग्रह

सबसे पहले ग्रहमंडल के राजा सूर्य के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं। सूर्य आपकी आत्मा का कारक है। आपकी जन्मकुंडली में यदि सूर्य अपनी नीच राशि में हो अथवा शत्रु नक्षत्र में हो तो इसके नकारात्मक असर को दूर करने के लिए ज्योतिषियों की सलाह के अनुसार सूर्य का रत्न माणिक धारण किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार करने के बाद सूर्य को कुमकुम मिश्रित जल अपर्ण करें। सरकार या अधिकारियों की नीतियों का विरोध नहीं करें। पिता का सम्मान करें। रविवार के भोजन में नमक का त्याग करें। सूर्य को बली करने के लिए माणिक / रूबी खरीदें।
चंद्र ग्रह
जन्मकुंडली में मन का कारक चंद्र यदि निर्बल हो, शत्रु के क्षेत्र में हो, नीच का हो या शत्रु के नक्षत्र में हो तो दूषित कहलाता है। चंद्रमा मन का कारक होता है। इसलिए, मन की नकारात्मकता दूर करने के लिए चंद्र से जुड़े उपाय किये जा सकते हैं। चंद्र माता का भी कारक होता है इसलिए अपनी माता का सम्मान करें। उसके उपरांत, चांदी के पात्र में पानी-दूध वगैरह का सेवन करने से भी फायदा होता है। सोमवार को सफेद वस्त्र धारण करने, दूध, चावल और चीनी से बनी खीर का भोजन में समावेश करें। शिवजी की पूजा-अर्चना करें। पानी को व्यर्थ में नहीं बहाने की गणेशजी खास चेतावनी देते हैं। कुंडली में चंद्र के प्रभाव को बढ़ाने के लिए मोती रत्न धारण करें। 
मंगल ग्रह
अब ग्रहों के सेनापति मंगल की बात करते हैं। जन्मकुंडली में मंगल जब कर्क राशि में हो, नीच राशि में हो या फिर शत्रु के क्षेत्र में होने पर कई बार उसका नकारात्मक असर व्यक्ति पर देखने को मिलता है। मंगल के कुप्रभाव को दूर करने के लिए गणपति जी की उपासना करें। लाल फल और गुड़ अर्पण करें। सदाचार की राह पर चलें। जेब में लाल रंग का रुमाल रखें। मंगल का रत्न भी शुभ फल देगा। शरीर पर तांबे धातु को धारण करें या फिर दान करें। छोटे-भाई बहनों के साथ अपने रिश्ते मधुर बनाए रखें। मंगल के जोश व ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए लाल मूंगा रत्न धारण करें। 
बुध ग्रह 
उपवन में विहार करने वाले कुमार अवस्था का ग्रह बुध है। बुद्धि और वाणी का कारक ग्रहबुध जब कुंडली में नीच, अस्त का या फिर शत्रु क्षेत्र में तो उसके कारकत्व में आने वाली चीजों में मुश्किलें आती है। अपने ऊपर से बुध के नकारात्मक असर को दूर करने के लिए भगवान विष्णु की आराधना कीजिए। बुधवार को हरे रंग की सब्जियां और मूंग को अपने भोजन में शामिल कीजिए। पुदीने का सेवन गेहूं के साथ कीजिए। मूक पशु-पक्षिओं को प्रेम करें। इन उपायों को करने से बुध बली होता है। कुमारियों, बहन या बुआ को भेट दीजिए। ज्योतिष की सलाह के अनुसार बुध का रत्न पन्ना धारण किया जा सकता है। इससे बुध का अशुभ असर दूर होता है। 
गुरु ग्रह
जन्मकुंडली में गुरु पांचवें भाव का कारक ग्रह बनता है। जन्मकुंडली में जब गुरु की उपस्थिति किसी खराब भाव जैसे कि 6-8-12 भाव में हो या फिर नीच राशि में हो तब जातकों पर इसका व्यापक असर देखा गया है। जातकों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। अपनी कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए उसका सम्मान करें। किसी महापुरुष अथवा बड़ी उमर के किसी गुणीजन को अपना गुरु मान सकते हैं। आप साधु-संत को भी गुरु के पद पर विराजित कर सकते हैं। गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें। पीली मीठी वस्तुओं का सेवन और दान करें। पीपल के वृक्ष की पूजा कीजिए। गुरु को अधिक बलवान बनाए रखने के लिए ज्योतिषियों की सलाहानुसार पीला पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है। 
शुक्र ग्रह 
नव ग्रहों में संबंधों का कारक ग्रह शुक्र सुंदरता और पत्नी का भी कारक ग्रह होता है। कुंडली में यदि शुक्र दूषित है तो जातक का जीवन संघर्ष से भर जाता है। दूषित शुक्र को पवित्र बनाकर अपनी जिंदगी को सुखमय बनाने के लिए घी और आंवले का सेवन कीजिए। स्वच्छ और साफ वस्त्र पहनिए। पत्नी का सम्मान करें। माँ लक्ष्मी की आराधना कीजिए। सफेद वस्त्र धारण करें। कर्णप्रिय संगीत सुनिये और उस पर थिरकिए। घर-परिवार में कपूर के दिए को प्रज्वलित करें और श्रृंगारिक चीजों को दान स्वरूप दीजिए। 
शनि ग्रह
ग्रहों की दुनियां में जातकों को हमेशा उनके कर्मों के अनुसार यदि कोई ग्रह फल प्रदान करता है तो वो शनिदेव हैं। जज शनि जातकों से अनुशासन और नेक नीयत की अपेक्षा रखता है। जन्मकुंडली में जब शनि नीच का हो, शनि सूर्य के साथ युति या शत्रु क्षेत्र में हो तो यह जातक की लाइफ में अनेक अवरोध व अड़चनें लाता है। इन अवरोधों को दूर करने के लिए शनिदेव के मंत्र और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। तेल या तेल से बनी चीजों को किसी गरीब, वृद्ध,और भिक्षुक को दान दीजिएं। काली उड़द से बने खाद्यपदार्थो का सेवन किया जा सकता है। लोहे की अंगूठी बनवाकर धारण कीजिए। कौए को खाना खिलाएं। पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दिया जलाएं। क्या शनि की साढ़े साती आपके जीवन में समस्याएं लेकर आ रही है?
राहु-केतु ग्रह
छायाग्रह के रूप में प्रचलित राहु-केतु हमेशा वक्री गति से भ्रमण करते रहते हैं। ये पाप ग्रह हैं। इन पाप ग्रहों का असर कम करने के लिए इनका मंत्र जाप किया जा सकता है। महादेव की उपासना करें। लघु रूद्र का पाठ करें। समस्त ग्रहों के राहु-केतु की चपेट से बनने वाले कालर्सप दोष की विधि करायी जा सकती है। खासकर कि केतु के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए घर में मछली रखें, पश-पक्षिओं को खिलाएं, शमशान में लकड़ी का दान करें। राहु की कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा देवी की उपासना करें। घर में कुत्ता पालिए। जहां तक संभव हो इन दोनों ग्रहों के रत्नों का धारण नहीं करना चाहिए। घर में नमक से पोछा लगाएं। चंदन का तिलक मस्तक पर लगाएं। अपने पास मोर का पंख रखें। गणेशजी का परामर्श है कि नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के लिए पूरे घर में पवित्र गोमूत्र का भी छिड़काव करना चाहिए।
 
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